ख़ुद जीता और दूसरों को जीवा जाता

झुका के मन को जीना सिखा जाता

ख़ुद जीता और दूसरों को जीवा जाता

अकड़ तेरी किस कम की निकली

जिसने तेरी सारी हस्ती ही निगली

                         …… यूई

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

अमरकंठ से निकली रेवा

अमरकंठ से निकली रेवा अमृत्व का वरदान लीए। वादियां सब गूँज उठी और वृक्ष खड़े प्रणाम कीए। तवा,गंजाल,कुण्डी,चोरल और मान,हटनी को साथ लीए। अमरकंठ से…

Responses

+

New Report

Close