खामोशी

तुम्हारी खामोशी भी
क्या चीज़ है
ना जाने क्या कह
जाती है।
जो कहना
चाहतें हो
नही कहती
हजारों फसाने सुनाती है।

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खामोशी

तुम्हारी खामोशी भी क्या चीज़ है ना जाने क्या कह जाती है। जो कहना चाहतें हो नही कहती हजारों फसाने सुनाती है।

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