
गजल
……………गजल………….
हम समंदर को समेटे चल रहे है
ठंडे पानी में भी हम उबल रहे है !
दुश्मनों के पर निकलते जा रहे है
देख अपनो की खुशी हम जल रहे है ||
है बडी मुश्किल उन्हे समझाये क्या
जो नादानों की तरह बस पल रहे है |
ये उन्हे शायद नही मालूम हो
हम तो उनके ही सदा कायल रहे है ||
आईनों से क्या करे शिकवा कोई
दाग ही चेहरे से नही निकल रहे है |
गैर तो मतिहीन होते गैर है लेकिन
आज अपनो को ही अपने छल रहे है
उपाध्याय…
लगातार अपडेट रहने के लिए सावन से फ़ेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम, पिन्टरेस्ट पर जुड़े|
यदि आपको सावन पर किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो हमें हमारे फ़ेसबुक पेज पर सूचित करें|
Anika Chaudhari - July 28, 2016, 1:16 pm
अतिउत्तम सर जी
राम नरेशपुरवाला - October 27, 2019, 12:47 am
Wah