ग़ज़ल
उपर चढ़ते , नीचे जाते
ईमान खरीदे बेचे जाते
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ए सी कमरों में बैठ कर
क्या क्या नहीं सोचे जाते
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सियासत का पहला पाठ
पाँव कैसे खींचे जाते
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किरदार पे कैसा भी हो दाग
पैसों से सब पोंछे जाते
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सच बोलने वालों के तो
सरे राह मुँह नोचे जाते
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स्कूल भेजना बंद किया
जेल तभी तो बच्चे जाते
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रचानकार :- गौतम कुमार सागर
behtareen ji
वाह बहुत सुंदर