Categories: शेर-ओ-शायरी
UE Vijay Sharma
Poet, Film Screenplay Writer, Storyteller, Song Lyricist, Fiction Writer, Painter - Oil On Canvas, Management Writer, Engineer
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गुमनामी का समंदर
होठों से बयाँ होता है आँखों का दर्द सुनहरा , जब अश्क रूठ जाते हैं किसी बेगाने की यादों में , हर दर्द जवाँ हो…
गुमनाम-ऐ-ज़िन्दगी
सब कुछ तो छोड़ आया मैं अपना अतीत के पन्नों में सख्शियत मेरी अब इंसान -ऐ -आम रह गई है खुशियों की सुबह न जाने…
कुछ कह नहीं सकता
मिल जायेगी ताबीर मेरे ख्वाबों की एक दिन, या ख्वाब बिखर जायें कुछ कह नहीं सकता। बह जाउं समंदर में तिनके की तरहं या फ़िर,…
मिल जायेगी ताबीर मेरे ख्वाबों की एक दिन
मिल जायेगी ताबीर मेरे ख्वाबों की एक दिन, या ख्वाब बिखर जायें कुछ कह नहीं सकता। बह जाउं समंदर में तिनके की तरहं या फ़िर,…
गुमनाम
गुमनाम सा हो गया है मेरा आशियां इन दिनों क्यूँ कि मैं तो बैठी थी तेरा घर बनाने में
wah! wah!
bahut khoob sir!
Gracias 🙂