गुरु – महिमा

गुरु – महिमा

 

यह रचना है ,

गुरु-देव की महिमा का गुनगान ,

वो ख़ुद के चित्‌ में है अन्तहीन ,

जिनकी परिभाषा है असीम ,

ऋषि की विशिष्टताओं का पैग़ाम 

जो देकर हमको शिक्षा ,

हमारा ज्ञान ही ना बड़ाए ,हमें ही बड़ा जाए 

पड़ा कर पाठ हमको,

जानकारी ही ना दे जाए ,अ‍सलीयत उनकी सिखा जाए 

सिखा शब्दों के मायने

मत्लब् ही ना समझा जाए ,उन मायनो से हमे बना जाए 

दिखा ज़िन्दगी की राहे ,

पथ-परिदर्शत ही ना कर जाए, जीवन रोशनी से भर जाए I

किताबी अर्थो को बता ,

सिर्फ़ विचार ही ना दे जाये, उन विचारों से हमे बदल जाये 

लूटा अपने ज्ञान का सागर ,

हमारा रुतबा ही ना बड़ा जाये, हमे सच की राह् में चला जाए 

दिखा धर्म की साँची रहें ,

यूई इस जन्म को ही नहीं, जन्मों की राह् मुखर कर जाए 

                                                                            …… यूई 

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

शिक्षा ग्रहण करो, संत ज्ञानेश्वर भीमराव बनो

शिक्षा ग्रहण करो,संत ज्ञानेश्वर भीमराव बनों —————————————————- यदि मन में अभिलाषा है किसी विशेष कार्य, वस्तु ,लक्ष्य, पद प्रतिष्ठा के लिए और धरातल पर कोई…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

आज़ाद हिंद

सम्पूर्ण ब्रहमण्ड भीतर विराजत  ! अनेक खंड , चंद्रमा तरेगन  !! सूर्य व अनेक उपागम् , ! किंतु मुख्य नॅव खण्डो  !!   मे पृथ्वी…

Responses

New Report

Close