Categories: शेर-ओ-शायरी

पंकजोम " प्रेम "
तराश लेता हूँ सामने वाले की फितरत ......
बस एक ही नज़र में .....
जब कलम लिख देती है , हाल - ए - दिल ....
तो कोई फ़र्क नहीं रहता .....
जिंदगी और इस सुख़न - वर में....
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teri aadat muje is kadar lgi
“jnab”
meri khamosi b baate krne lgi..
Kya khoob frmaya aap ne sarita ..ji. umda
nice pankaj
शुक्रिया तुम्हारा ए – महकते , ग़ुलाब ….
ज़रा अलग अंदाज़ में क़बूल करे ….
इस सुख़नवर का , आदाब …
Sukkriyaa ji..
nice again pankaj
nice
Suukkriyaaaa……ji
ख़ामोश अल्फ़ाज़ मेरे ,सबसे बतियाते बतियाते दिखेंगे
Waah waah
बहुत खूब