ज्यादा नहीं मुझे तो बस………..
ज्यादा नहीं मुझे तो बस एक सच्चा इंसान बना दे तूँ ।
एक बार नहीं चाहे हर बार सच में हर बार बना दे तूँ।
आसमां छूने की ख्वाहिश मेरी नहीं मन नहीं मेरा
मुझे तो बस सही दिशा में उड़ना सिखा दे तूँ।
गलत गति से गलत राह पे दौड़ना मैं नहीं चाहता
मुझे तो सही राह पे बस चलना सिखा दे तूँ।
सैंकड़ों बरसों के कतरे जीकर भी मेर मन नहीं भरेगा
मुझे तो बस आज़ का पूरा दिन जीना सिखा दे तूँ।
लाखों–करोड़ों के झूठे साथ का मुझे क्या करना
मुझे तो बस एक सच्चे साथी का साथ दिला दे तूँ।
किसीकी बदलती हस्ती को जानकर मुझे क्या करना
कौन हूँ क्यों जिंदा हूँ मैं मुझे तो बस ये समझा दे तूँ।
आज़कल दुनिया में जीते–जीते भी बहुत मरते हैं रब्बा
इस ‘बंदे’ को बस मरने के बाद जीना सिखा दे तूँ।
– कुमार बन्टी
Asm Poem
THNXX A LOT
nice
THNXX
वाह
Jai ho