डर लगता है
देखो तो मजमा आजकल उनका इधर लगता है
मतलब की है यारी, सर-बसर लगता है
कहते थे कभी मुल्क की आवाम के हैं सेवक
देखो तो आज बनारस ही उनका घर लगता है
कब्रिस्तान और श्मशान की हो रही बराबरी
बनाएंगे पूरे हिन्दुस्तां को, मुजफ्फरनगर लगता है
महंगा हुआ है खाना, महंगी है रसोई
शिद्दतों से आये अच्छे दिन का असर लगता है
आतंक और करप्शन तो हैं ही दर्द-अंगेज़
नए पनपते देशभक्तों से भर गया शहर लगता है
बंद लब कर, चुप बैठा है ‘विनायक’
डर है किसी बात से, अब ये कहने में भी डर लगता है।
nice
Thanks
BAHOOT KHOOB
nice
वाह बहुत सुंदर रचना
सुन्दर रचना