Categories: शेर-ओ-शायरी
Tags: शायरी
UE Vijay Sharma
Poet, Film Screenplay Writer, Storyteller, Song Lyricist, Fiction Writer, Painter - Oil On Canvas, Management Writer, Engineer
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JAY SHRI RAM वृक्ष कबहुँ नाही फल भखे, नदी ना संचे नीर परमारथ के कारण साधुन धरा शरीर ।। ———————————————– रमता योगी बहता पानी कभी…
दीया बाती
तुम दीया मैं बाती ही सही मैं बाती बन जली तुम बाती बदलते रहे।
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समर्पण…
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