दहेज

मेरे माथे को सिंदूर देके
मेरे विचारों को समेट दिया
मेरे गले को हार से सजाया
पर मेरी आवाज़ को बांध दिया
मेरे हाथों मे चूड़ियों का बोझ डालके
उन्हें भी अपना दास बना दिया
मैं फिर भी खुश थी
मुझे अपाहिज किया पर थाम लिया
मेरे पैैरों में पायल पहनाई और
मेरे कदमों को थमा दिया
मैं फिर भी खुश थी
कि मेरा संसार एक कमरे में ला दिया
पर आज मुझे
मेरा और मैं शब्द नहीं मिल रहे
शायद वो भी दहेज में चले गये…
?
thank you jyoti
Congratulations
Thank U Ritu
Good
Behtar prastuti