Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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माँ
माँ: जीवन की पहली शिक्षिका ******************** जीवन की पहली गुरु, मार्गदर्शिका कहाती है हर एक सीख,सहज लब्जों में सिखाती है ।। धरा पे आँखे खुली,माँ…
कविता : हौसला
हौसला निशीथ में व्योम का विस्तार है हौसला विहान में बाल रवि का भास है नाउम्मीदी में है हौसला खिलती हुई एक कली हौसला ही…
इन्सान और जानवर (भाग – २)
(आपने भाग १ में पढ़ा – वीराने में कलूआ की मुलाकात एक अदभुत गिद्ध से होता है। वह मनुष्य की भाषा में बात करता है।…
मंज़िलें नज़दीक है…
सफर शुरू हुआ है मगर मंज़िलें नज़दीक है… ज़िंदगी जब जंगलोके बीच से गुजरे, कही किसी शेर की आहट सुनाई दे, जब रात हो घुप्प…
MUSAFIR
गरीब था मुसाफिर पर अनजान नहीं था भूख थी पेट में पर सहता गया भटकता भटकता वहाँ गया जहाँ मुसाफिर को मुसाफिर मिले पर वहाँ…
waah waah
सही कहा
वाह बहुत सुंदर