दीदार – ए – रुख़ – ए – रोशन
उसकी यादों की बारिश से , एक एक पल है यूँ भीगा……
किया है जब से दीदार – ए – रुख़ – ए – रोशन हो गए संजीदा…..
क़दम रखा जैसे ही उसने दिल के आशियाने में….
एक – एक गम का लम्हा हो गया अलविदा ….
शुक्रिया अदा करते करते नहीं थकते मेरे अल्फ़ाज़ ….
मेरी क़िस्मत को क्या ख़ूब ख़ुदा ने हैं लिखा…..
वो मुस्कराहट की मल्लिका , जिंदगी में ले आई खुशियों की सौगात….
खुल कर मुस्कुराना भी मैंने उस अप्सरा से है सीखा….
जिंदगी के सफ़र में वो हमसफ़र ना बन सकी….
शायद किसी मज़बूरी ने उसे अपनी और था खींचा….
एक मुलाक़ात के लिए तड़प जाती थी रूह…..
ऐतबार है , नहीं हुआ ख़ुदा से कोई जफ़ा….
बहुत गहरे रंज दिए किसी अपने ने…..
लेकिन दिल उसे मान बैठा , हर रंज की दवा….
ख्वाईश थी , राह – ए – मोहब्त में उसका हाथ थाम चलने की..
लेकिन दर – ए – मोहब्त पर ” पंकज ” अकेला जा पहुँचा…
Pankaj ” prem “
amazing poem
nice poem
धन्यवाद मित्रों…….
awesome ghazal dost
nice post pankaj ji
Thnqu mittroimittro
Good
वाह
Super