दुनियाँ बदल रही है !!
ये दुनियाँ बदल रही है, या बस हम बदल रहे हैं ;
दौड़ बची है पैसों की, सब, सबसे आगे निकल रहे हैं !
यारियाँ है मतलब की, फर्ज अब हक़ में बदल रहे हैं ;
रिश्तों में विश्वाश अब कहाँ, यक़ीन अब शक़ में बदल रहे हैं !
माँ, बहनें महफूज़ नहीं, रक्षक अब भक्षक में बदल रहे हैं ;
जिनके कदमो में हैं राम-ओ-रहीम, उनको पैरों से कुचल रहे हैं !
हर चेहरे पर इक नकाब है ‘अक्स’, और लफ्जों में सियासत;
हर शख्स खुदी में ख़ुदा है, इंसान मजहब में बदल रहे हैं !………#अक्स
अब नहीं रूह में वो मिल्कियत
जिसकी रोशनी से दुनिया रोशन थी
हर शख्स, हर रूह आजकल
अंधेरों मे डल रही है
bahut khoob Panna ji……….thanks alot !!
सच्चाई को कर दिया हर मोड़ पर नाकामयाब ….
ना जाने क्यों बुराई , अपना दबदबा बनाने में सफल रही है….
very nice Pankaj ji……:) n thaaanq uu
reflect reality of present time…
absolutely….n thanks Anjali ji (y)
Good
वाह
Wah