देशी पढ़ुआ

बिन बारिश मेंढक बोले
चीटियों की चले जमात।
‘विनयचंद ” सब कहे सयाने
निश्चित होवेगी बरसात ।।

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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

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