Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
छिन गया
तुम्हारे छिन जाने से मानो सब छिन गया दिल गया, चैन भी छिन गया स्मृति ही शेष रह गई अब तो हाँथों से सर्वस्व छिन…
सुनो गाँव ! अब परदेश ना जाना
आयी विपदा न कोई सहाय हुआ छूटा रोजगार बहुत बुरा हाल हुआ तुम्हारा कष्ट भी किसी ने न जाना पसीने से सींचा जिन शहरों को……
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…
dhanyawad