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अलख जगे आकाश
तन कुँआ मन गागरी, चंचल डोलत जाय ! खाली का खाली रहे, परम नीर नहिं पाय !! मोती तेरा नूर मैं, देखूं चारों ओर…
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मेरा मित्र मैं स्वयं ही हूँ
मेरा मित्र, सखा तो मैं ही स्वयं हूँ, मैं हूँ सुदामा तो मैं ही कृष्ण हूँ। मैं ही सुख- दुख का संयोग हूँ, मैं हूँ…
कविता- शास्त्री गांधी से सीख लो |
कविता- शास्त्री गांधी से सीख लो | लड़ा जाता कैसे जंगे आजादी गांधी से सीख लो | सत्य अहिंसा की कैसी आजादी गांधी से सीख…
Nice
Good
Good
Sahi kha