नए युग का सूत्रपात
चल साथी चल करें हम
नये युग का सूत्रपात
बढ़ चलें नवीन पथ पर
हाथों में लेकर हाथ
ना जाति-पांति के बंधन हों
ना मरी हुई संवेदनाएँ
ना लाशों के ढेर लगे हों
ना आगे बढ़ने की आपाधापी
हों स्वर्णिम स्वप्न और
हों प्रेम के प्यारे बंधन
हाथ बढ़ाकर सब सहयोग करें
थके ना फिर कोई यौवन
ना हो व्यथा ना कोई व्यथित हो
सबके मन में प्रेम फलित हो।।
खूबसूरत रचना है रचनाकार की
Thank you so much
बहुत सुंदर भाव
🙏🙏
Nice poetry
🙏🙏
सुन्दर अभिव्यक्ति
🙏🙏
बहुत शानदार अभिव्यक्ति
🙏🙏
जैसा आप सोंचती हैं वैसे युग की कल्पना कोमल हृदय का व्यक्ति ही कर सकता है
आपकी कविताए आपके व्यक्तित्व के दर्शन कराती हैं आप सर्वश्रेष्ठ कवयित्री हैं आपका हर भाव श्रेष्ठ है कितनी लगन के साथ
आप कविता सृजित करती हैं दिसम्बर से आप सावन पर एक से एक कविता लिखे जा रही हैं
आशा करता हूँ आप आगे भी साहित्य की सेवा करती रहेंगी
हमें आपकी सटीक कविताओं का इन्तजार रहेगा मैम….
धन्यवाद
Very good
धन्यवाद
बेहद शानदार रचना
🙏🙏