नारी बता दिया
मुझ जैसी भोली भाली को,
“काली” बता दिया ।
झाङु ,पोछा, छितका की तो,
घर वाली बता दिया ।
सज संवर के निकली तो
मतवाली बता दिया ।
रोती बिलखती गुङिया को
दिलवाली बता दिया ।
तिनका मांगने से,
नखरे वाली बता दिया ।
बैठ गई अगर चौराहे पर
गाली बता दिया ।
जिवित रहने दिया नहीं,
अवतारी बता दिया ।
हक देने के डर से ही मर्दों ने,
“ना” “री” बता दिया ।।…….
ओमप्रकाश चन्देल ‘अवसर’
पाटन दुर्ग छत्तीसगढ़
076939 19758
sundar kavita 🙂
धन्यवाद
बहुत सुंदर रचना