Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: शायरी

UE Vijay Sharma
Poet, Film Screenplay Writer, Storyteller, Song Lyricist, Fiction Writer, Painter - Oil On Canvas, Management Writer, Engineer
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बरसात: मन की रंगीन धारा
बादलों की छाँव में आयी बरसात, धरती ने पहनी हरियाली की साड़ी। गीत गाती हुई हवाएं मुझको बुलाती, मन को भर देती खुशियों की बरसाती।…
बारिश: मन की रिमझिम और ख़्वाबों का गांव
बारिश की बूंदों की खुशबू, बहती हर बूंद में छुपी कहानी। जब मौसम बन जाता है रिमझिम, मन की धड़कनें बदल जाती हैं जवानी। बारिश…
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अब तो चुनर भिगा लो
जाओ न इस तरह से बरसात की ऋतु है, रूठो न इस तरह से बरसात की ऋतु है। छोटी सी जिंदगी है दूरी में मत…
गाँव मेरा
इस लहलाती हरियाली से , सजा है ग़ाँव मेरा….. सोंधी सी खुशबू , बिखेरे हुऐ है ग़ाँव मेरा… !! जहाँ सूरज भी रोज , नदियों…
sahi nishaaniyaa chuni he 🙂
वाह क्या बात है
Nice