Categories: शेर-ओ-शायरी
Tags: शायरी
UE Vijay Sharma
Poet, Film Screenplay Writer, Storyteller, Song Lyricist, Fiction Writer, Painter - Oil On Canvas, Management Writer, Engineer
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एहे बरस के सावन मे (भोजपुरी गीत)
सावन में सावन में, एहे बरस के सावन मे आवऽ न गोलकी झूला झूलाईं एहे बरस के सावन मे सावन में सावन में , एहे……………………………………..…
सावन
फुलवारी संग महकता सावन बाबगीयो मे खिलता सावन फल की मिठास जैसा सावन पवन संग उभरता सावन पतझड का है मौसम सावन चिडीयो का है…
एक सावन ऐसा भी (कहानी)
किसी ने कहा है कि प्रेम की कोई जात नहीं होती, कोई मजहब नहीं होता ।मगर हर किसी की समझ में कहां आती है…
सावन का मुग्ध फुहार तू है
सावन का मुग्ध फुहार तू है । बूंदो की रमणीक धार तू है ।। कोमल वाणी मे खिली, आह! लचक सुरीली । खनकती बोली मे…
सावन
सावन बारिश कि फुहार ने रंग दिया सारा संसार कौन सुना किसने सुना पपीहा करे पुकार सुन के गर्जना मेघों की नृत्य लुभाता मोरनी को…
nice one 🙂
Thanks Anjali Jee
Good
Nice