पिता का सपना
हे प्रभु भक्त तेरा हूं,
मत दे दुनिया की दौलत मुझको|
दे जा मुझको अनमोल खजाना,
ना इसके सिवा कुछ चाहत मुझको|
कई पीढ़ियों से हाथ है सुना,
दादा बाबा परदादा से |
लाल दिए हो लाली दे दो,
दुआ मेरी है जगत विधाता से|
वह दिन सब कोई रोते थे,
दुर्भाग्य साली समझते थे|
शोक सभा हो घर में मानो ,
जब सुनी कलाई पाते थे|
उमा रमा सुधा कहू,
या सीता कह के बुलाऊंगा|
बिक जाए ,चाहे घर का हर एक कोना,
बेटे जस पढ़ाऊंगा|
इतना साहस तेज शिखा दू,
संस्कारों के फूल खिला दू|
जहां रहे सभ्यता की खुशबू फैले,
बेटी है ऐसे संस्कार मैं दू|
है बेटा बेटी दे दो,
बहना का प्यार मिले यह अवसर दे दो|
कुछ घर के बच्चे ,अपनो को नाना कहते,
बच्चों को मामा-
हमें नाना बनने का अवसर दे दो|
सपना देख रहा हूं प्रभु,
यह दिन भी सब सच हो जाए,
आश टिकी है तुझ पर ही,
प्रभु सपना सच हो जाए|
सुन्दर भाव
विचारणीय
✍👏👏👏
Tq
🙏🙏🙂
सुन्दर अभिव्यक्ति
Tq
वाह, बहुत ही सुन्दर।
“तथास्तु”🙂
Tq🙂
बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति
Tq
अति, अतिसुंदर भाव