Categories: हिन्दी-उर्दू कविता

UE Vijay Sharma
Poet, Film Screenplay Writer, Storyteller, Song Lyricist, Fiction Writer, Painter - Oil On Canvas, Management Writer, Engineer
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हाथ की रेखाएं न बदनाम कर डालो कुछ नज़र अपने करम पर भी डालो तेरा वज़ूद खड़ा एक गुनहगार सा क्या हर्ज़ खुद को कातिल…
दीप ऐसा जलाओ
दीप ऐसा जलाओ ************************ *********************** दीप ऐसा जलाओ ऐ दिलबर हर तरफ रौशनी -रौशनी हो। न अमावस की हो रात काली हर निशा चांदनी -चांदनी…
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सौ दीप जला लो मंदिरों में, चाहे हजार दीये जले तेरे आँगन में, जब-तक तेरे मन की तम ना होंगे दुर । तब-तक है तेरे…
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जलता जाए दीप हमारा। मिट्टी के दीपों में भरकर तेल – तरल और बाती, तिमिर-तोम को दूर भगाने को लौ हो लहराती। मिट जाए भू…
एक दीप तेरे नाम की
आज जब मानव के बजूद पर बन आई है फिर भी जाति-धर्म की ये कैसी लङाई है गरीब देखे न अमीर ये वैश्विक महामारी है…
behatreen lines
Thanks for your kind words Anirudh Jee