फूलों से कह दो चमन में

फूलों से कह दो चमन में अब न यूँ महका करें ।
खौफ से कांटों के अब सब काँटों का सिजदा करें ।

चाँद किस से जाके अपनी दास्ताँ ए दिल कहे ,
जब उजालों के ही आशिक चांदनी रुसवा करें ।

प्यार देने वाले भी तो खा रहे धोखे यहाँ ,
आदमी की जात का अब हम “भरोसा” क्या करें ।

अपने दिल की रहगुज़र पर जो अकेले ही चले ,
क्यूँ जमाने वाले उनके प्यार पर पहरा करें ।

इतना ही काफी है “नीरज” दिल के रिश्तों के लिए,
तुम हमें समझा करो और हम तुम्हे समझा करें ।

नीरज मिश्रा

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Responses

  1. मुश्किल होता है, लफ़्जों में हालातों को कहना
    क्या खूब कहा भाई, हर कोई आदाब करे

  2. चाँद किस से जाके अपनी दास्ताँ ए दिल कहे ,
    जब उजालों के ही आशिक चांदनी रुसवा करें ।
    वाह वाह

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