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मुकेश सिंघानिया
Poet
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रहम करना ज़रा मौला
रहम करना ज़रा मौला, नमाजी हूँ तेरा मौला। तू ही तो मीत है मेरा, तू ही तो गीत है मेरा॥ किसी को गैर ना…
मौला
साद और बर्बाद भी हुआ मौला प्यार भी किया नफरत भी किया मौला गुनाह भी किया मौला शफा भी किया अंत में रुका जहा तोह…
वो शक्ति दे
दूर कर देना बुरी आदत मेरी मेरे मौला, किसी को दर्द न दूँ बल्कि उत्साह दूँ मेरे मौला। बह रहा हो हताशा की नदी में…
अब मै हार गया हूँ।
जिन्दगी की किश्ती सभाँलते– सभाँलते , अब मै हार गया हूँ। क्या करू जिस दरिया मे चलती थी ,अपनी किश्ती वो दरिया मे ही गजब…
प्रेम का संदेश दें
अपनी खुशियों पर रहें खुश दूसरों से क्यों भिड़ें, बात छोटी को बड़ी कर पशु सरीखे क्यों लड़ें। जिन्दगी जीनी सभी ने क्यों किसी को…
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