बस कीजिए

शराफत को बस यहीं बस कीजिए ।
मीठा धुआँ है और एक कश लीजिए ।

ये तो उस बेवफा से बेहतर होती है ।
दिल तो जलाती, मगर होंठों पर होती है ।
बेवफा से तो वफा का साथ न मिला,
मगर यह साथ अक्सर होती है ।।
बेवफाई का आलम जिसने देखा है,
कहता फिरेगा हर शख्स लीजिए ।
मीठा धुआँ है और एक कश लीजिए ।
शराफत को बस यहीं बस कीजिए ।।

कहते हैं ले जाता है मौत की ओर।
कम्बख्त जीना चाहता है कौन और ।
अब तो ये जहाँन लगती है विरान,
संभल जाओ वक्त है, हर-शू यही शोर।।
वो क्या जाने हाले-दिल बुरा कहते हैं,
एक बार क्या सरशस लीजिए ।
मीठा धुआँ है और एक कश लीजिए ।
शराफत को बस यहीं बस कीजिए ।।

देवेश साखरे ‘देव’

सरशस- हमेशा

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