— बस यूँ ही
कारण या तो मेरा अहम् था – या मेरा बहम था,
अपनों से दूर होता गया मै बस यूँ ही .
पता नहीं था कि कीमत चेहरों की होती है ,
मै अपने दिल को साफ़ रखता रहा बस यूँ ही .
वक़्त मेरे हिसाब से ना चलाना था – ना चला कभी,
मुगालते में महँगी घडी का –
पालता रहा शौक में बस यूँ ही .
Nice
शुक्रिया
Beautiful 🙂
शुक्रिया
Good