बहुत दिनों के बाद…
बहुत दिनों के बाद ,
जब खोला मैंने यादों का पिटारा ।
कुछ बचपन की किलकारियां गूंजी,
कुछ मां की मीठी लोरी,
कुछ पापा की डांट मिली।
कुछ दिखे खेल पुराने जो खेलें अपनों संग,
कुछ बचपन के हमजोली मिले,
कुछ नटखट-सी शैतानियां ,
कुछ हार जीत का रोना मिला,
कुछ बचपन की नादानियां।
बहुत दिनों के बाद
जब खोला मैंने यादों का पिटारा ।
यादों की बारात में गुजरे पल की शहनाई।
दिलोदिमाग पे देखो कैसे है छायी।।
रचना लाजवाब है।
बहुत बहुत आभार
बहुत खूब
धन्यवाद
बचपन की यादों का बहुत ही सुंदर चित्रण
अतिसुंदर अभिव्यक्ति
Thank you
बचपन को याद करती हुई सुंदर रचना
धन्यवाद जी
बहुत अच्छा
धन्यवाद सर
bachpan hota hi kuch khas he, bas bade hote hi sab badal jata he, bahut dhanyawad bachpan ki yaadein taza karane ke liye…
बहुत बहुत धन्यवाद