बेचारी नींद

बात ऐसी हो गई कि
नींद नहीं आएगी ; हमें आज।
वो लोयल नहीं, ढोंगी थे,
उजागर हुई , मगर ये बात।

आंखों से वो बड़े भोले लगते,
शर्म हया का ,क्या नाटक करते !
भ्रम मिटा, चलो  ये आज,
नींद बेचारी कैसे आए ?
धोखा मिला है हमें जनाब  !
                          –मोहन सिंह मानुष

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

अपहरण

” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों  की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. किसी पर विश्वास हो और उनका सच कुछ और निकले तो मन व्यथित हो जाता है, नींद गायब हो जाती है, उसी संवेदना को स्वर मिला है, ‘लोयल’ अंग्रेजी शब्द अर्थात निष्ठावान को जल में मिठास की तरह घोला गया है।

    1. सर जी बधाईयां आपको! बहुत अच्छी समीक्षा करते हो आप
      बहुत-बहुत धन्यवाद

  2. आपकी या रचना किसी तारीफ या आलोचना समीक्षा की मोहताज नहीं अपने आप में सर्वतो समेटे हुए या रचना मुझे इतनी भाया गई है कि मैं बार-बार पढ़ता हूं

New Report

Close