बेचारी नींद

बात ऐसी हो गई कि
नींद नहीं आएगी ; हमें आज।
वो लोयल नहीं, ढोंगी थे,
उजागर हुई , मगर ये बात।
आंखों से वो बड़े भोले लगते,
शर्म हया का ,क्या नाटक करते !
भ्रम मिटा, चलो ये आज,
नींद बेचारी कैसे आए ?
धोखा मिला है हमें जनाब !
–मोहन सिंह मानुष
Nice
Thank you 🙏
Nice lines
Thank you
🙏
धन्यवाद
किसी पर विश्वास हो और उनका सच कुछ और निकले तो मन व्यथित हो जाता है, नींद गायब हो जाती है, उसी संवेदना को स्वर मिला है, ‘लोयल’ अंग्रेजी शब्द अर्थात निष्ठावान को जल में मिठास की तरह घोला गया है।
सर जी बधाईयां आपको! बहुत अच्छी समीक्षा करते हो आप
बहुत-बहुत धन्यवाद
सुंदर
आपकी या रचना किसी तारीफ या आलोचना समीक्षा की मोहताज नहीं अपने आप में सर्वतो समेटे हुए या रचना मुझे इतनी भाया गई है कि मैं बार-बार पढ़ता हूं