मुस्कुराना तो हम भी नहीं छोड़ेंगे।
पैर थक गए हैं तेरी ठोकरों से, ए जिंदगी! मगर कहता! हौसला इन पैरों का, ज़फ़र तो हम भी नहीं छोड़ेंगे। और तेरे सितमों का…
पैर थक गए हैं तेरी ठोकरों से, ए जिंदगी! मगर कहता! हौसला इन पैरों का, ज़फ़र तो हम भी नहीं छोड़ेंगे। और तेरे सितमों का…
बारिश की एक फुहार से, सुखे पेड़ में भी जान आ जाती है और जब होता है जिक्र प्यार का, मुझे मेरी मां याद आ…
छुपाकर ही रखना बेबसी, मानुष ! दिल ए इज़हार मत करना, कर लेना बातें,परछाईं से अपनी, जमाने को दीदार मत करना, और बैठे हैं लोग…
यहां जान बहुत सस्ती है, नहीं दुंगा! मैं जीने आया हूं तेरे लिए। और चांद तारों का क्या हैं करना! मैं खुशियां लाया हूं तेरे…
भिन-भिन करती, मक्खियां आई! भी-भी करते, मच्छर लाई! गोलू बड़े ही मस्त मौला, जिन्न को झट से आवाज लगाई, मुस्कुराकर जिन गोलू से बोला, चैन…
अगर खुदा तुमने , लाखों तकलीफें दी हैं; मानुष को! तो कोहिनूर से दोस्त भी दिए हैं, उनकी मोजुदगी ही है, जो मुझे आस्तिक बनाती…
इश्क़ ने हमें बर्बाद किया; फिर भी दिल ने; खुद को आबाद किया।-२ अरे! ना आती है , तो ना आए ! नींदें रात को,…
तेरा मेरे लिए होना, उतना जरूरी, जितना जरूरी , ज़हान को हवा पानी है, तू अंजाम है, मेरे इश्क का , तू सुकून है ,…
जहां बेटियों को पूजा जाता है वह हिंदुस्तान ही है, और जहां पर इज्जत को सरेआम, नीलाम किया जाता है , वह भी हिंदुस्तान ही…
चलो ! अब के दशहरे , नया कोई चलन करते हैं। भला कब तक जलाते रहें, लकड़ी का रावण, मन में जो बैठा है, उसी…
बीती सुध ,जो कभी सुखदायक थी , आज वो बड़ा रुलाती हैं, चार दिन की घनी हरियाली थी, अब पतझड़ बड़ा सताती है।
दर्द का जो स्वाद है, उससे दिल आबाद है, मुफ्त है जग में, खुदगर्जीया ! मक्कारियां सरेआम है, दर्द का जो स्वाद है, उससे दिल…
वे सो रहे हैं व्यवस्था को, जेब में लेकर, हम रो रहे हैं , हाथ में मोमबत्तियां लेकर! वे जागते हैं अक़्सर चुनाव में, और…
मैं जब-जब अकेला होता हूं, दर्द के संताप को, बाहों में लेकर रोता हूं। खो जाता हूं ,उन यादों में, उलझे हुए उन ख्वाबों में,…
मैं अक्सर आंखें मूंद लेता हूं, चैन से सोने के लिए, मगर मक्कारी; बीमारी जमाने की; मुझे सोने नहीं देती!
मेरी भावनाओं में; जो उत्तथ-पुथल है , उनको शांत ! वो आराम से कर सकती है, माना बहुत सारी है, भाषाएं इस संसार में, मगर…
वो रात भर खांसती! चिल्लाती! घबराती! फड़फड़ाती! भुखी-प्यासी, आंसू बहाती, अकेली तड़पती, चलीं गईं! छोड़ सांस , वो चली गई। मगर बेटे बड़े संस्कारी! ऐसे…
बहुत झगड़े हम रात भर दिल से अपने , मगर बदनामी करे, मनमानी करे, दिल मेरा , तुम्हारी ही गुलामी करें , आखिर आना ही…
तू शक्तिशाली!,मैं दलित ! तू स्वर्ण ! मैं नीच! यह शब्द स्वार्थ में , तूने ही मुझे दिए। तू मालिक, मैं दास, तेरी विचारधारा में;…
नन्ना-सा ,एक छोटा-सा , टहनी बड़ी, मगर कोमल-सा, अकेला मनोहर पौधा, तेज हवाओं में ,वो झूला झूले, कभी इधर कभी उधर, क्रीडा ललाम बड़ी सुहावनी,…
आओ थाली बजाते हैं! गरीबी का मुंह दिखाने वाली, बेरोजगारी के लिए , आओ ताली बजाते हैं! देश की कमर तोड़ने वाली मरी हुई अर्थव्यवस्था…
मैं शिक्षक हूं वर्तमान का, मुझे बच्चों से डर लगता है, मजबूर-सा हूं पढ़ाने में, बेरोजगारी से डर लगता है। सम्मान-वम्मान जुति बराबर मगर लाचारी…
दिखावे का मायाजाल बड़ा भयंकर, जो फंस जाएं निकल ना पाए, फिर उचित ,अनुचित सब परे-सा, अलग-अलग हाथी के दन्तों -सा।
हां मान लेता हूं , अब नहीं होता ,पहले जैसा, बार-बार वो इजहार करना , मगर मैं उस कस्तूरी-सा जो कपड़ा फट जाए , मगर…
वो मेरा बहुत ख्याल रखता , मुझे भले-बुरे की पहचान कराता, जब भी संकट आता ,मुझे बचाता, मगर उससे ज्यादा , मैंने दूसरों से प्यार…
हमें औरों सा ना समझ, आंखों से और बातों से, इरादों को भांप लेते हैं। ये झाड़ पर चढ़ाना, मीठी-मीठी बातें बनाना, यहां नहीं चलेगा,…
मेरा दिल ही मेरा रक़ीब है, मैं भुलना चाहता हूं, उसे और ये याद करता रहता है।
तुम जाओगे ,कल नहीं; आज चलें जाओ, छोड़ जाओ, रोकूंगा नहीं, मगर काम ज़रा-सा करके जाओ, फिर कभी टोकूंगा नहीं। ये यादें जो घर बनाएं…
बेबसी का सैलाब कुछ ऐसा आया , सब रिश्तों को बहा ले गया, तंगी कुछ ऐसी हुई कि, हर कोई हमसे; तंग-सा हो गया, और…
तुम्हें नहीं मालूम , मगर मंसूबों को तेरे , मैं जान लेता हूं, रहता हूं परेशान, मगर; फिर भी खुद को हर हाल में ,…
प्रेम विरह क्या सही है ,क्या गलत , ना जानू । पर आंखें टपक- टपक नयन-जल बौछार में ; भीगा तनबदन, क्या करूं? क्या ना…
मुझे समझने की कोशिश मत करना, मैं उलझा-सा कोई जाल हूं, जितना सुलझाओंगे , उतना ही उलझ जाओगे अगर सुलझा लिया तो, फिर खुद को…
ये राजनीति बड़ा ही मीठा जहर, मानवता पर बड़ा ढहाती कहर , होते दंगे ,बिखर जाती लाशें, फिर मिडिया हमारी, दिखाती दलाली, हाए! हिन्दू मर…
निकल ही गई ,जान मेरी! जब नन्हीं-सी जान , पहली बार बीमार हुई। औरों को भी थी गमी, पर आंखों से मेरी, बेमौसम बरसात हुई,…
चश्मे वाले नेताजी! गजब कमाल करते हैं, करोड़ों जनों को चुना लगाने का; जिगरा सरेआम रखते हैं , ना खाऊंगा ना खाने दूंगा! ऐसे-ऐसे वादे…
माना कुछ बुराईयां है मुझमें, मगर सारी अच्छाईयां नहीं है तुझमें, फर्क इतना-सा , मैं हुबहु कहता, और तू बनाकर।
जिससे ठोकर लगी मेरी, एकाएक वो पत्थर बोला! माना गिरे हो तुम, मगर इतने भी नहीं गिरे हो तुम, जो गिरते ही रहोगें हरदम।
शैतान की नानी, बन्दर-सी शैतानी, जादू की पुड़िया, सोने की गुड़िया, परियों सी रवानी, प्रेम की निशानी, बालों को नोचे, कान को खींचे, शरारतें उसकी…
आपके लिए तो केवल वो शब्द थे, जो निकल गए जुबान से, मगर जो आघात हुए हैं हृदय से, उनकी खता तो बताइए ,जनाब!
आज तू हंस ले , खुलकर मुझ पर, मगर ,थोड़ा सा सब्र कर; अरी; सुन ! मेरी अभागी क़िस्मत! मैं सीख तुम्हें सीखलाऊंगा, मेहनत की…
चलो ‘मैं’ को, ‘मैं’ से लड़ाते हैं! जीतकर , फिर ‘मैं’ से ‘हम’ बनाते हैं। विशेष–> यमक अलंकार का प्रयोग एक “मैं ” अपने आप…
किसी ने कहा है कि प्रेम की कोई जात नहीं होती, कोई मजहब नहीं होता ।मगर हर किसी की समझ में कहां आती है…
बहुत आ रहे हैं लोग ; आजकल ,पास तुम्हारे ! पहले तो नहीं आते थे , सच बताओ ये रजा क्यों है, डॉक्टर हो शायद…
माना शराफत भली हैं ,इंसानियत के लिए, मगर, हे मानुष ! ज्यादा युधिष्ठिर ना बन, तेरे आस-पास सुगनी बहुत रहते हैं।
पपीहे की आस जैसी खुशी बच्चे के पैदा होने पर होती हैं ,शायद उससे भी ज्यादा खुशी किसान को बारिश होने पर होती हैं यही…
दिखाईं देता है, तुझे अपना दुःख, और तकलीफें भी, और नज़र आ जाती है, अपनी अच्छाईयां भी, मगर मानुष! तू बहुत लालची, दिखावे के लिए…
जो कभी दुश्मन था मेरा, वो आज मुझसे हमदर्दी रखता, ये मेरा दर्द ही अब मुझे , आजकल तसल्ली देता है।
जितना रोकूं उतना ही बहते , दर्द का किस्सा पल में कहते, आंसू मेरे बड़े ही मनमाने-से, जरा सी बात पर बहते रहते।
रोने वाले पापा मुकुल कितना भी गुस्सा हो ,मगर जब भी वह अपनी बेटी से मिलता हमेशा खुश और जिंदादिली दिखाता । दिनभर की…
एक दर्द ,अनकहा सा साल में कितने सारे मौसम आते हैं और चले भी जाते हैं, मगर जब भी वसंत और बारिश का मौसम…
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