” बड़ी फ़ुरसत में मिला मुझ से ख़ुदा है…”
मेरी सांसो में तू महकता हैँ
क़ायनात – ए – ग़ैरों में तू ही अपना लगता हैँ 1 .
होंठों की ख़ामोशी समझा ना सके
नैनों में इश्क़ मेरा झलकता हैँ ( 2 )
भर चुकी हैं सुराही – ए – मोहब्त
इश्क़ मेरा अब बूंद – बूंद कर रिसता हैं…. ( 3 )
जितना जाना चाहूँ तुम से दूर
कारवाँ यादों का उतना ही तेरी और सरकता है…( 4 )
नैनों से दूर हो तो क्या हुआ
ये सुख़नवर तेरा हाल – ए – दिल समझता हैं ( 5 )
धड़कन बन कफ्स हूँ तेरे दिल में
ये बार – बार तू फ़लक की और क्या देखता है( 6 )
मेरी महफ़िल – ए – दिल में मुसलसल हैँ दौर – ए – खजालत
ऐ दीवाने दौड़कर आ कहाँ तू रुकता हैँ ( 7 )
कट रहे हैं दिन ग़रीबी संग
इस सुख़नवर का इक – इक अल्फ़ाज़ सस्ता है ( 8 )
दर्पण में हर रोज़ देख ना समझ सकी
अक्श मेरा बिलकुल तेरे जैसा है ( 9 )
इक अरसा बीत गया उन से गुफ़्तगू किये
आज बड़े दिन बाद नैनों से मिला इक इशारा है ( 10 )
साँसे कब तक महफूज़ रहे मालूम नहीं
अंतिम साँस तक साथ निभाने का क्या इरादा है ( 11)
दिल को अमीर बना भेजा हैँ ख़ुदा ने
तभी हर रुख़ – ए -रोशन पर इश्क़ लुटाता है ( 12 )
जब वो दिल से अपना कहते हैँ
कसम – ए – ख़ुदा क्या जीने का आनन्द आता है ( 13 )
फिज़ा की महक से महसूस की उनकी मायूसी
तभी आज इक – इक अल्फ़ाज़ हुआ रुवासा हैँ ( 14 )
मुझे इत्मीनान से जीने दो मेरा आज
क्योकि कल तो बस कल कहलाता है ( 15 )
तू कफ्स रह मेरे जिस्म में रूह बनकर
आज का इन्सां अंखियो से करता तुझे मैला है ( 16 )
इक किस्सा बन कर नहीं रहना
जिंदगी का सफ़र कटा अभी आधा है ( 17 )
सोया रहता हूँ मुर्दे की तरह
ख़्वाब हर इक मेरा अधूरा है ( 18 )
शाम ढ़लते ही घने जुल्मात के कहर में
इक शोला आज भी जलता हैँ ( 19 )
उस माहताब का दीदार किये बगैर
ये आफ़ताब कहा ढलता हैँ ( 20 )
दुनिया ने बता दिया इश्क़ को गुनाह
लेकिन दिल मेरा कफ़न बांध चलता है ( 21 )
तन्हाई में तन्हा कर दे यादें उनकी संजीदा
फिर नैनों से हर इक आब बारिश बन बरसता है ( 22 )
मत बिक जब तक ना मिले कोई सच्चा सौदागर
पगले बाजार – ए – मोहब्त में यूँ ही मोल- भाव चलता है ( 23 )
दिल की ज़मी पर रखे वो अपने लफ़्जो के कदम
तब कहि जाकर मुस्कराहट का गुलाब खिलता है ( 24 )
धड़कन आज भी मदहोश हैँ
सांसो से उनकी जो रिश्ता गहरा हैँ ( 25 )
इक मरतबा तुम जाओ मयख़ाने में
साक़ी के हाथो से जाम पीने का कुछ और मज़ा हैँ ( 26 )
जो ये कहे दिल से बहुत अमीर हूँ मैं
सही मायने में वही मोहब्त पर लूटा है ( 27 )
वो आज भी सोया हैँ बे-फ़िक्र
और सुलग उठी चिता है ( 28 )
ख़ामोश आज तक वो ख़ुदा है
शायद हुई कोई ना होने वाली खता हैँ ( 29 )
जब से छोड़ दी उसने नजरों से मय पिलानी
वीरान शहर का हर इक आहता है ( 30 )
दिल तोड़ने के बाद भी रह लो तुम
यहाँ खण्डरो में किसका रहना मना हैँ ( 31 )
कब्र में सोने के बाद जल उठी कंदीले
जरा ये सोचो मोहब्त में चिराग ये कितना जला है ( 32 )
कल जो नजारा देखते थे हम फ़लक – ए – उल्फ़त पर
आज वहीँ दिखाई दिया धुंधला है ( 33 )
तुम पढ़ना मेरी दिल की किताब ध्यान से
किसी इक ख़ास पन्ने पर अतीत मेरा छुपा है ( 34)
मुसलसल है उसे चाहने का सिलसिला
जब से दिल उनकी धड़कन से मिला है ( 35 )
और जीने का मन करता है
जब अल्फ़ाज़ उनका अपना कह बुलाता है ( 36 )
राह – ए – इश्क़ में बहुत ठोकरे लगी
पर हर मरतबा दिल सम्भल जाता है ( 37 )
मेरे मेहरबान मत बना मोहब्त को इतनी बेनज़ीर
इस जंग में इंसान इंसान से ही हारता है ( 38 )
तब से रो रही है तन्हाई में दीवारे
जब से उनके दिल का आशियाना छोड़ा है ( 39 )
ये मोहब्त सुला देती हैँ गहरी नींद में
वरना यहाँ मरना कौन चाहता हैँ ( 40 )
फूलों की चाह दिल में ले चल पड़े
पता ना था अंगारो पर से गुजरना हैँ ( 41 )
जख़्म इतने गहरे मिले उस अपने से
भरने कोई मरहम आज तक ना हुआ संजीदा है ( 42 )
ना पूंछे वो मेरा हाल – ए – दिल
हर इक राज़ दिल में दफ़न रहता है ( 43 )
अगर तेरे नसीब में है तो जरूर मिलेगी
ए – इंसान क्यों राह – ए – मोहब्त में ख़ुद को खोता है ( 44 )
काफिले और नसीब हो जायेगे चाहत के
मुस्कुराता रह क्यों रोता है ( 45 )
हाल – ए – दिल बताने ख़त उन्हें और कैसे लिखूँ
बचा मोहब्त की किताब पर इक ही पन्ना है ( 46 )
पसन्द हैं उन्हें पायल
बस मुझे घुँगरू बन खनकना है ( 47 )
रहना हैं अगर उस चाँद के हरदम करीब
तो और कुछ नहीं इक सितारा बनना है ( 48 )
दूर से पहचान ले उस गुलाब की खुशबु
उल्फ़त में बना ये सुख़नवर ऐसा भंवरा है ( 49 )
जैसे ही वो लगे गले महसूस हुआ ” पंकजोम प्रेम ”
बड़ी फ़ुरसत में मिला मुझ से ख़ुदा है…(50 )
बड़ी फ़ुरसत में मिला मुझ से ख़ुदा है…..simply lajwab!! no other words…:)
Sukkriyaaa bhai….
bahut khoob pankaj si
Sukkriya pnna ji…
वाह पंकज जी
बहुत ही सुंदर पंक्तियां