मनुजता

ऐ मनुज जिस दिवस , मनुजतत्व पाओगे
स्वयं को पा लोगे , जग को अपनत्व दे जाओगे

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अनकही बाते

बिन कहे क्या तुम समझ जाओगे समझने कि तकलीफ उठा पाओगे या फिर पूछने पर वही थम जाओगे सर उठाकर ना कह पाओगे स्याही के…

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