Categories: शेर-ओ-शायरी
Tags: शायरी
UE Vijay Sharma
Poet, Film Screenplay Writer, Storyteller, Song Lyricist, Fiction Writer, Painter - Oil On Canvas, Management Writer, Engineer
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
महफिल
महफिल ———- महफिल में हंसते चेहरे भी. … अक्सर बेचैन से रहते हैं, वह हंसते-हंसते जीते हैं आंसुओं को भीतर पीते हैं। महफिल में रौनक…
इस महफ़िल में
कुछ दीवाने थे , कुछ परवाने थे- इस महफ़िल में, शमां को जलाने के लिए सब थे बेताब- इस महफ़िल में . दर्द रक्काशा का…
महफ़िल-ए-चाय
मैं मान लेती हूँ, की तुम्हे मेरी याद नहीं आती , पर वो महफ़िल-ए-चाय तो याद आती होगी ! वो शाम की रवानगी , वो…
महफ़िल
जिस महफ़िल में कोई जानता ना हो, उस महफ़िल में जाना क्यूं है जिस महफ़िल में,अनसुना कर दें तुझे उस महफ़िल में, कुछ सुनाना क्यूं…
bahut sundar!