माँ

पथ दिखाके,लक्ष्य दिखती’
है पथ प्रदर्शक माँ

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

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पंथ

मेरे गुरुवार,मन का दिया जला दो ठहर ठहर जाते मेरे पग, मुझको पंथ दिखा दो, मन का दिया जला दो -विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

Maa

हां बहुत से रिश्ते पाये है, मैंने अपने इस जीवन में कुछ में है प्यार, कुछ में है स्वार्थ, सामने वाले के मन में लेकिन…

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