Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
पंथ
मेरे गुरुवार,मन का दिया जला दो ठहर ठहर जाते मेरे पग, मुझको पंथ दिखा दो, मन का दिया जला दो -विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
माँ कि ममता
माँ कि ममता टुटे छप्पर के द्वार पर महलो के किनार पर जाते हुए फुटपाथ पर ममता दिखती रहती हैं | बोलते हुए इंसान में…
शिक्षा ग्रहण करो, संत ज्ञानेश्वर भीमराव बनो
शिक्षा ग्रहण करो,संत ज्ञानेश्वर भीमराव बनों —————————————————- यदि मन में अभिलाषा है किसी विशेष कार्य, वस्तु ,लक्ष्य, पद प्रतिष्ठा के लिए और धरातल पर कोई…
लक्ष्य
क्या लक्ष्य है नहीं , बढ़ोगे कैसे ,चढ़ोगे कैसे गिर गिर कर फिर उठोगे कैसे -विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
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