माँ
बनाकर खुद से खुद पर ही हैरान हो गया,
मेरी माँ की सूरत के आगे वो बेजान हो गया,
भेज दिया जिस पल मेरे घर में माँ को उसने,
उसका खुद का घर जैसे मानो वीरान हो गया,
आसमाँ पर जब तब नज़र चली जाती थी कभी,
आज कदमों में ही माँ के मेरा आसमान हो गया।।
राही (अंजाना)
Nice poetry
धन्यवाद
वाह जी वाह
बहुत खूब