Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
हे भक्त-वत्सल हे रघुनंदन
संगीत सहित हे भक्त-वत्सल हे रघुनंदन काटो भव-बंधन मेरे हे भक्त-वत्सल हे रघुनंदन काटो भव-बंधन मेरे राम तुम्हीं हो भव-भय हरन वाले — 2 बार…
जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…
ओडिशा यात्रा -सुखमंगल सिंह
यात्रायें सतयुग के सामान होती हैं और चलना जीवन है अतएव देशाटन के निमित्त यात्रा महत्वपूर्ण है | मानव को संसार बंधन से छुटकारा पाने…
जय जननी
जय हे भारत स्वर्ण भूमि जय जय जननी, जय कर्म भूमि हे गंगा यमुना ब्रह्म सरस्वती पावन सतलज सिन्ध बहे विन्ध्य हिमालय गिरी अरावली मणि…
Sundar
Wah
Good