मातृ भूमि

अर्पण तन मन धन कर दो,
स्व मातृ भूमि के लिए

रहे वर्चश्व स्व का सदा,
ना हो बंधन,मुक्ति के लिए

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

Related Articles

जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)

वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…

जय जननी

जय हे भारत स्वर्ण भूमि जय जय जननी, जय कर्म भूमि हे गंगा यमुना ब्रह्म सरस्वती पावन सतलज सिन्ध बहे विन्ध्य हिमालय गिरी अरावली मणि…

Responses

New Report

Close