मिलन

तुमसे मिलने की ललक..
मेरी इन साँसों को !
एक उम्मीद-औ-आशा
की झलक दे जाती है !!

तेरी बस एक झलक..
उम्मीदों के तप्त मरुस्थल में !
उमंगों की बहार..
अनेकों पुष्प खिला जाती है !!

यूँ तो तुम बसते हो..
मेरे कण कण में !
तेरे दीदार की ख्वाहिश..
नयी प्यास जगा जाती है !!

राज़-ए-दिल तुझसे..
भला कौन छुपा पाया है !
दिल की हर धड़कन..
तेरा अहसास करा जाती है !!

बेख्यालि में भी..
ख्यालों में सूरत तेरी है !
सांसो की तरन्नुम..
“सो-हम” लय में गुनगुनाती है !!

***********
deovrat – 21.02.2018 ( c)

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