मिलन
तुमसे मिलने की ललक..
मेरी इन साँसों को !
एक उम्मीद-औ-आशा
की झलक दे जाती है !!
तेरी बस एक झलक..
उम्मीदों के तप्त मरुस्थल में !
उमंगों की बहार..
अनेकों पुष्प खिला जाती है !!
यूँ तो तुम बसते हो..
मेरे कण कण में !
तेरे दीदार की ख्वाहिश..
नयी प्यास जगा जाती है !!
राज़-ए-दिल तुझसे..
भला कौन छुपा पाया है !
दिल की हर धड़कन..
तेरा अहसास करा जाती है !!
बेख्यालि में भी..
ख्यालों में सूरत तेरी है !
सांसो की तरन्नुम..
“सो-हम” लय में गुनगुनाती है !!
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deovrat – 21.02.2018 ( c)
Nice… specially this line बेख्यालि में भी..
ख्यालों में सूरत तेरी है !
Thanks Priya … your comments and liking to the write really meant to me
वाहहहहह लाजवाब बेहतरिन
I am thankful of your valuable time spared for the reading.. Thanks a lot
very nice poem
Thanks Ritu for sparring your time and comments
Waah
Thanks Rahi sab, for sparring your time and comments
वाह बहुत सुंदर रचना
Thank you so much Mahesh ji for beautiful comments
वाह
राम नरेश जी शुक्रिया
Superb
Thank you so much Abhishek ji