Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
उम्र लग गई
ख्वाब छोटा-सा था, बस पूरा होने मे उम्र लग गईं! उसके घर का पता मालूम था , बस उसे ढूंढने मे उम्र लग गईं !…
मीराबाई
ना राधा ना रुक्मणी, वो कान्हा की मीरा बनी। हरि नाम ही जपती थी, ऐसी उसकी भक्ति थी। विष का प्याला पी गई, जाने कैसे…
*आभार आपका*
आप आए मेरी ज़िन्दगी में, आभार आपका आपसे जो मिली शुभ-कामनाएं, आभार आपका जो दीं आपने दुआएं, आभार आपका आपके स्नेह के खिले गुलाब, आभार…
कविता : वो सारे जज्बात बंट गए
गिरी इमारत कौन मर गया टूट गया पुल जाने कौन तर गया हक़ मार कर किसी का ये बताओ कौन बन गया जिहादी विचारों से…
Nice
धन्यवाद
सुंदर
धन्यवाद
वाह
थैंक्स
Nyc
🙏🙏