मुक्तके – दौलत आखिरी |
मुक्तके – दौलत आखिरी |
पाँच गज कफन दो गज जमीन दौलत आखिरी |
लाखो करोड़ो की चाह हंगामा बदौलत आखिरी |
आना जाना खाली हाथ लड़ाई किस बात की है |
सब कुछ रह जाएगा यहा नाम सोहरत आखीरी |
और कुछ नहीं
सत्य शिव और सुंदर वही और कुछ नहीं |
छंटा घटा जटा समंदर वही और कुछ नहीं |
बाग बागीचा फूल भवरे झरने नदी सुंदर |
गगन मगन जल पवन वही और कुछ नहीं |
कुछ किया क्या |
परारब्ध भोग लिया फिर न हो कुछ किया क्या |
छूटे जनम मरण जरण बंधन कुछ किया क्या |
जप तप योग ध्यान नहीं कर्म नेक जरूरी है |
तन मे काम क्रोध मद लोभ शमन किया क्या |
राई राई हिसाब
कर लो छुपकर बुराई देख लेगा वो प्रमेश्वर है |
तीनों लोको का नियंता कर्त्ता धर्त्ता वो महेश्वर है |
भले बुरे कर्मो का फल लेखा जोखा रखता है |
पाई पाई राई राई होगा हिसाब वो पीठाधीश्वर है |
श्याम कुँवर भारती (राजभर)
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
बोकारो झारखंड मोब -9955509286
बहुत खूब, सुन्दर अभिव्यक्ति
हार्दिक आभार आपका पांडेय जी
पाँच गज कफन दो गज जमीन दौलत आखिरी |
लाखो करोड़ो की चाह हंगामा बदौलत आखिरी |
आना जाना खाली हाथ लड़ाई किस बात की है |
सब कुछ रह जाएगा यहा नाम सोहरत आखीरी
बहुत सुंदर पंक्तियां
बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति
तहे दिलसे से आभार आपका प्रतिमा जी
अतिसुंदर भाव अतिसुंदर रचना शतप्रतिशत यथार्थ
पंडित जी का हार्दिक आभार
बहुत ही सुन्दर
हार्दिक आभार आपका
True
Thank you prgya ji
तहे दिलसे से आभार आपका प्रतिमा जी