Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: मुक्तक
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काश मेरे मुल्क मे ना जाती ना धर्म होती
✍✍✍काश मेरे मुल्क मे ना जाती ना धर्म होती , शिर्फ एक इंसायनित की नाम होती,, तो दिल्ली मै बैठे गद्देदार की रोटी नही सिझती।…
वतन में आज नया आफताब निकला है,
वतन में आज नया आफताब निकला है, हर एक घर से गुल ए इंकलाब निकला है। सवाल बरसों सताते रहे थे जो हमको, सुकूनबख्श कोई…
वतन के लिए
खून का हर एक कतरा , वतन के नाम कर देंगे। वतन की मिटटी का ये जिस्म, वतन पे कुर्बान कर देंगे। कोशिशे तुम लाख…
जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…
एक शहीद का खत
एक शहीद का खत….. ‘माॅ मेरे खत को तू पहले आॅखों से लगा लेना चूमना होठों से इसे फिर आॅचल में छिपा लेना।’ कि….. बेटा…
behtareen ji
V good