मुक्तक 12
खत को मेरे संभाल के रखा जो होता मीर,
हर हर्फ़ मेरे प्यार की दास्ताँ कहते .
करे अब किस जगह रोशन गुलिश्ता ए जिगर को यार ,
यहाँ तो आशियाँ ही लुट गया है मीर तूफां में .
…atr
खत को मेरे संभाल के रखा जो होता मीर,
हर हर्फ़ मेरे प्यार की दास्ताँ कहते .
करे अब किस जगह रोशन गुलिश्ता ए जिगर को यार ,
यहाँ तो आशियाँ ही लुट गया है मीर तूफां में .
…atr
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I became ur fan Mr. Abhi…keep it up
bahut bahut shukriya.. aabhar..
Nice muktak…kahan busy ho aajkal?
आग
वाह वाह