मुक्तक 22
चुपके चुपके ही चाहा है, इज़हार किया न जीवन भर ,
एक डर में एक संशय में, मैं हाल ए दिल कैसे कह पाऊँ.
जीवन के अंतिम क्षण में यदि बात जुबां तक आ जाये,
बस उसी काल मैं तृप्त हुआ ,दुनिया को छोड़ चला जाऊं..
…atr
चुपके चुपके ही चाहा है, इज़हार किया न जीवन भर ,
एक डर में एक संशय में, मैं हाल ए दिल कैसे कह पाऊँ.
जीवन के अंतिम क्षण में यदि बात जुबां तक आ जाये,
बस उसी काल मैं तृप्त हुआ ,दुनिया को छोड़ चला जाऊं..
…atr
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thanks bhai..
great!
dhanyavad mitr..
Good
Waah wah
बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ