मेरा बचपन
दोस्त बचपन के
याद बहुत आते है
जब बिछड़ जाते है
कहां बयां हो पाते है
जज्बात लफ़्जों में
अधूरे ही रह जाते है
मुकम्मल होने की हसरत में
शरारतें, मस्ती जिनसे होती थी मुकम्मल जिंदगी
छूट गयी सब बचपन के साथ
याद बहुत आता है मुझे
मेरा बचपन
दोस्त बचपन के
याद बहुत आते है
जब बिछड़ जाते है
कहां बयां हो पाते है
जज्बात लफ़्जों में
अधूरे ही रह जाते है
मुकम्मल होने की हसरत में
शरारतें, मस्ती जिनसे होती थी मुकम्मल जिंदगी
छूट गयी सब बचपन के साथ
याद बहुत आता है मुझे
मेरा बचपन
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याद बहुत आता है मुझे
मेरा बचपन……….absolutely!!
thank u ankit 🙂
वाह बहुत सुंदर रचना