मेरी रूह
तू मेरी रूह में, कुछ इस तरह समाई है।
के रहमत मुझपर, रब की तू ख़ुदाई है।
तू नहीं तो मैं नहीं, कुछ भी नहीं, शायद
तुझे पता नहीं, मेरा वजूद तुने बनाई है।
तू यहीं है, यहीं कहीं है, मेरे आसपास,
हवा जो तुझे छू कर, मुझ तक आई है।
तेरी खुशबू से महकता है, चमन मेरा,
तेरा पता, मुझे तेरी खुशबू ने बताई है।
मैं भी इत्र सा महक उठा तेरे आगोश में,
टूटकर जब तू, गले मुझको लगाई है।
देवेश साखरे ‘देव’
बहुत खूब
आभार आपका
Good
Thanks
ek ek shabd bemisaal he
सहृदय आभार आपका
Nice
Thanks
Waah