मेरे महबूब
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मेरे महबूब को देख, चाँद भी शरमाया है।
मेरा माहताब जो ज़मीं पर उतर आया है।
चाँद भी कहीं, देखो बादलों में छुप गया,
अक्स देख तेरा, रश्क से मुँह छिपाया है।
ऐ चाँद, तेरी चाँदनी की जरूरत नहीं मुझे,
मेरे महबूब के नूर से सारा समाँ नहाया है।
कोशिशें लाख कर ली, नज़रें हटती नहीं,
तुमने हुस्नो-नज़ाकत कुछ ऐसा पाया है।
बेशक हमने, कमाई नहीं दौलत बेशुमार,
तेरी मोहब्बत का साया, मेरा सरमाया है।
देवेश साखरे ‘देव’
अक्स- प्रतिबिम्ब, रश्क- ईर्ष्या, सरमाया- संपत्ति
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Pt, vinay shastri 'vinaychand' - November 15, 2019, 12:36 pm
काबिल -ए-तारीफ़
देवेश साखरे 'देव' - November 15, 2019, 5:32 pm
Thanks
Poonam singh - November 15, 2019, 2:41 pm
Bahut khub
देवेश साखरे 'देव' - November 15, 2019, 5:32 pm
Thanks
nitu kandera - November 15, 2019, 5:20 pm
nice
देवेश साखरे 'देव' - November 15, 2019, 5:32 pm
Thanks
Charusheel Mane @ Charushil @ Charagar - November 15, 2019, 6:39 pm
Bahot khub
देवेश साखरे 'देव' - November 16, 2019, 1:05 am
शुक्रिया
राही अंजाना - November 16, 2019, 3:25 pm
वाह
देवेश साखरे 'देव' - November 16, 2019, 8:58 pm
धन्यवाद
Abhishek kumar - November 23, 2019, 10:35 pm
सुन्दर
देवेश साखरे 'देव' - November 23, 2019, 11:43 pm
धन्यवाद
Abhishek kumar - November 24, 2019, 2:08 pm
आपको बधाई
Pragya Shukla - December 10, 2019, 11:14 am
वाह
देवेश साखरे 'देव' - December 13, 2019, 4:46 pm
धन्यवाद