Categories: मुक्तक
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रिश्तों के बाजार में अब तो नाते बिकते हैं ।
रिश्तों के बाजार में अब तो नाते बिकते हैं । मात-पिता को छोड़ अब वह सुत प्यारा, अब तो सास श्वसुर के पास रहते हैं…
गजभोजपुरी गीत- चुनरिया संभाला सजनी |ल
भोजपुरी गीत- चुनरिया संभाला सजनी | बरसेला बदरा झीर झीर चुनरिया संभाला सजनी | चिकन भुईया जइहा ना गिर उमरिया संभाला सजनी| रही रही चमकेले…
रात्रि को विराम
तेरी यादों को सलाम करता हूँ और अब मैं रात्रि को विराम देता हूँ। नींदे है छत पर सोई हुई, मगर मैं अपनी आँखों को…
पूर्ण विराम
इंसानियत कब इंसान की जिंदा होगी क्या तब जब हर आत्मा से निंदा होगी जागो देखो सोचो सुलग रहा है समाज कब तक बंद रखोगे…
कुछ दिल की सुनी जाये
चलो रस्मों रिवाज़ों को लांघ कर कुछ दिल की सुनी जाये कुछ मन की करी जाये एक लिस्ट बनाते हैं अधूरी कुछ आशाओं की उस…
Nice
Nice
🙏🙏🌹