**रहने दे**
**रहने दे::गज़ल**
यही चाहत का है दस्तूर तो दस्तूर रहने दे,
मुझे बेबस ही रहने दे मुझे मजबूर रहने दे l
तुझे जब याद करता हूं तो दुनिया भूल जाता हूं,
तेरी नश्तर सी यादों को तू मुझसे दूर रहने दे l
तू मेरा हो नहीं पाया मुझे ये ग़म नहीं होता,
मै अब भी हूं तेरा तलबी, मुझे गुरूर रहने दे l
ये जब भी साथ होते हैं तो दिल बेचैन होता है,
मेरे ख्वाबों को यूं टूटा औ चकनाचूर रहने दे l
मेरे ग़म छीन मत मुझसे ,मेरे आंसू मुझे दे दे,
रहम कर मेरी गज़लों में ज़रा सा नूर रहने दे l
मुझे ये जब भी चुभते हैं गज़ल होती है “सागर” झूमकर,
मेरे दिल में तेरे वादों का ये नासूर रहने दे ll
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-Er Anand Sagar Pandey
bahut khoob
तह-ए-दिल से शुक्रिया bhuvan जी l