लेख:- ब्राण्डेड बुखार

लेख:- ‘ब्राण्डेड बुखार’

आजकल हर व्यक्ति अपने निजी काम को बहुत ही अच्छे ढंग से करने मे विश्वास रखता है। सबसे ज्यादा ध्यान तो इस बात पर रहता है कि हम अच्छा खाये,पिये और पहने। अब व्यक्ति अपने व्यक्तित्व को निखारने और प्रभावशाली बनाने के लिये प्रयासरत रहता है। वह सोचता है कि वह सबसे अच्छा दिखे। इसलिये वह अनेक प्रयास और उपायों को अपनाता है। अपनी सुन्दरता,आकर्षण और व्यक्तित्व विकास हेतु वह महँगी वस्तुओं, कपडों और विभिन्न दैनिक उपयोग की चीज़ो को प्रयोग करता है। व्यक्तित्व विकास के लिये अच्छे और महँगे कपड़े,जूते पहनना धीरे-धीरे जरुरत से ज्यादा आदत बन जाती है। इस आदत पर काफ़ी खर्चा भी होता है। व्यक्ति दैनिक जीवन मे उपयोग होने वाली सभी चीजें ब्राण्डेड ही उपयोग करना पसंद करता है।
ब्राण्ड का बुखार यानी ब्राण्डेड प्रोडक्ट्स खरीदने की आदत बच्चे,बूढ़े और जवान सभी के सिर चढ़कर बोल रही है। सभी अपने पसंदीदा कपड़े,जूते और दैनिक उपयोग की वस्तुयें ब्राण्ड स्टोर से ही खरीद रहे है। दूसरों को प्रभावित करने के लिये और दिखावे की खातिर लोग ब्राण्डेड बुखार की जकड़ मे आ चुके है। इससे बचने के लिये समझ रूपी पैरासीटामाल ही माल के चक्करों से छुटकारा दिला सकती है।
आप चाहे कोई भी और कितने भी जोड़ी कपड़े और जूते पहन ले, कुछ समय बाद उनका रंग फीका हो जाता है या उन चीजों के निरंतर प्रयोग से मन ऊब जाता है। किसी दूसरे को दिखाने के लिये अपने पैसों मे आग लगाना, यह कोई समझदारी तो नही।
जीवन दिखावे का नाम नही, जीने का नाम है। असली जिन्दगी बिना किसी संकोच और हीनभावना के ही जीना अच्छा होता है।
आपके इस दिखावे की आदत का सबसे बड़ा फ़ायदा बहुराष्ट्रीय कंपनियों को होता है। इस दिखावे की कला को वह अवसर के रूप मे भुनाने से नही चूकती। देश के लगभग हर शहर और कस्बे मे इन कम्पनियों के स्टोर खुले हुये है। जहाँ लोकलुभावन ऑफर देकर आपकी जेब हल्की की जा रही है। दो खरीदो एक मुफ्त पाओ और चीज़ो पर पचास से सत्तर प्रतिशत की छूट का भी झुनझुना आपको थमा दिया जाता है। आप इसे विशेष छूट समझकर फूले नही समाते है। उदाहरण के तौर पर यह समझने वाली बात है कि यदि जीन्स की कीमत तीन हजार रुपये है। वह छूट पाकर यदि आपको कुछ कम कीमत पर मिलती है तो आपको लगता है कि बहुत फ़ायदा मिल गया। आप भी यह जानते है कि इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों की चीजों उन पर लिखी कीमत पर न तो बिक सकती है और न ही कोई खरीदेगा। इसीलिये यह कम्पनियां ऑफर- ऑफर का खेल करके आपके साथ खेल कर जाती है।
आप भी जानते होगे कि आप खरीदी गयी चीजों की गुणवत्ता की नही अपितु उनके नाम और उन पर लगे टैग की कीमत चुकाकर स्टोर से बाहर निकलते है। आपकी समय की कमी,विशेष आवश्यकताओं और सहज सुविधा का फायदा उठाने हेतु लगभग सभी कम्पनियां ऑनलाइन भी उपलब्ध है। आजकल ऑनलाइन शॉपिंग भी बहुत प्रचलित हो गयी है। लोग मनचाही चीज़े घर बैठे मंगाकर फूले नही समा रहे है। इसके चलते वह कभी ठगी का शिकार भी हो रहे है। इसलिये शॉपिंग ऑनलाइन या बाजार से करते समय सावधान और सजग रहने की जरुरत है।
आप इस बात का स्मरण रखे कि आप स्वयं मे अति महत्वपूर्ण है। इसलिये दिखावे से कोई फ़ायदा नही है। आपके पास एक परिवार है जिसकी छोटी- बड़ी आवश्यकताओं की पूर्ति करना आपका कर्त्तव्य है। इसलिये मितव्ययी बने और इस ब्राण्ड और टैग के झंझटो से खुद को मुक्त करे। आप बहुत ही अच्छा महसूस करेगे। यदि आपके पास बहुत सारा धन है तो उसे मानव सेवा मे खर्च करे। आपको इससे आत्मिक संतुष्टि भी प्राहोलेख:- ‘ब्राण्डेड बुखार’

आजकल हर व्यक्ति अपने निजी काम को बहुत ही अच्छे ढंग से करने मे विश्वास रखता है। सबसे ज्यादा ध्यान तो इस बात पर रहता है कि हम अच्छा खाये,पिये और पहने। अब व्यक्ति अपने व्यक्तित्व को निखारने और प्रभावशाली बनाने के लिये प्रयासरत रहता है। वह सोचता है कि वह सबसे अच्छा दिखे। इसलिये वह अनेक प्रयास और उपायों को अपनाता है। अपनी सुन्दरता,आकर्षण और व्यक्तित्व विकास हेतु वह महँगी वस्तुओं, कपडों और विभिन्न दैनिक उपयोग की चीज़ो को प्रयोग करता है। व्यक्तित्व विकास के लिये अच्छे और महँगे कपड़े,जूते पहनना धीरे-धीरे जरुरत से ज्यादा आदत बन जाती है। इस आदत पर काफ़ी खर्चा भी होता है। व्यक्ति दैनिक जीवन मे उपयोग होने वाली सभी चीजें ब्राण्डेड ही उपयोग करना पसंद करता है।
ब्राण्ड का बुखार यानी ब्राण्डेड प्रोडक्ट्स खरीदने की आदत बच्चे,बूढ़े और जवान सभी के सिर चढ़कर बोल रही है। सभी अपने पसंदीदा कपड़े,जूते और दैनिक उपयोग की वस्तुयें ब्राण्ड स्टोर से ही खरीद रहे है। दूसरों को प्रभावित करने के लिये और दिखावे की खातिर लोग ब्राण्डेड बुखार की जकड़ मे आ चुके है। इससे बचने के लिये समझ रूपी पैरासीटामाल ही माल के चक्करों से छुटकारा दिला सकती है।
आप चाहे कोई भी और कितने भी जोड़ी कपड़े और जूते पहन ले, कुछ समय बाद उनका रंग फीका हो जाता है या उन चीजों के निरंतर प्रयोग से मन ऊब जाता है। किसी दूसरे को दिखाने के लिये अपने पैसों मे आग लगाना, यह कोई समझदारी तो नही।
जीवन दिखावे का नाम नही, जीने का नाम है। असली जिन्दगी बिना किसी संकोच और हीनभावना के ही जीना अच्छा होता है।
आपके इस दिखावे की आदत का सबसे बड़ा फ़ायदा बहुराष्ट्रीय कंपनियों को होता है। इस दिखावे की कला को वह अवसर के रूप मे भुनाने से नही चूकती। देश के लगभग हर शहर और कस्बे मे इन कम्पनियों के स्टोर खुले हुये है। जहाँ लोकलुभावन ऑफर देकर आपकी जेब हल्की की जा रही है। दो खरीदो एक मुफ्त पाओ और चीज़ो पर पचास से सत्तर प्रतिशत की छूट का भी झुनझुना आपको थमा दिया जाता है। आप इसे विशेष छूट समझकर फूले नही समाते है। उदाहरण के तौर पर यह समझने वाली बात है कि यदि जीन्स की कीमत तीन हजार रुपये है। वह छूट पाकर यदि आपको कुछ कम कीमत पर मिलती है तो आपको लगता है कि बहुत फ़ायदा मिल गया। आप भी यह जानते है कि इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों की चीजों उन पर लिखी कीमत पर न तो बिक सकती है और न ही कोई खरीदेगा। इसीलिये यह कम्पनियां ऑफर- ऑफर का खेल करके आपके साथ खेल कर जाती है।
आप भी जानते होगे कि आप खरीदी गयी चीजों की गुणवत्ता की नही अपितु उनके नाम और उन पर लगे टैग की कीमत चुकाकर स्टोर से बाहर निकलते है। आपकी समय की कमी,विशेष आवश्यकताओं और सहज सुविधा का फायदा उठाने हेतु लगभग सभी कम्पनियां ऑनलाइन भी उपलब्ध है। आजकल ऑनलाइन शॉपिंग भी बहुत प्रचलित हो गयी है। लोग मनचाही चीज़े घर बैठे मंगाकर फूले नही समा रहे है। इसके चलते वह कभी ठगी का शिकार भी हो रहे है। इसलिये शॉपिंग ऑनलाइन या बाजार से करते समय सावधान और सजग रहने की जरुरत है।
आप इस बात का स्मरण रखे कि आप स्वयं मे अति महत्वपूर्ण है। इसलिये दिखावे से कोई फ़ायदा नही है। आपके पास एक परिवार है जिसकी छोटी- बड़ी आवश्यकताओं की पूर्ति करना आपका कर्त्तव्य है। इसलिये मितव्ययी बने और इस ब्राण्ड और टैग के झंझटो से खुद को मुक्त करे। आप बहुत ही अच्छा महसूस करेगे। यदि आपके पास बहुत सारा धन है तो उसे मानव सेवा मे खर्च करे। आपको इससे आत्मिक संतुष्टि भी प्राप्त होगी।

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