Categories: काव्य प्रतियोगिता
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प्रेम का संदेश दें
अपनी खुशियों पर रहें खुश दूसरों से क्यों भिड़ें, बात छोटी को बड़ी कर पशु सरीखे क्यों लड़ें। जिन्दगी जीनी सभी ने क्यों किसी को…
क्या दोष तुम्हें दूँ तुम ही कहो..
क्या दोष तुम्हें दूँ तुम ही कहो.. क्या दोष तुम्हें दूँ तुम ही कहो.. इस रिश्ते की बुनियाद हिलाने की शुरुआत तो मैंने की थी..…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
जो आत्मनिर्भर है
1 जो आत्मनिर्भर है, उन्हें आत्मसम्मान की शिक्षा दे रही हैं क्यूँ हमारी सरकार? मजदुर अपने बलबूते पर ही जिन्दगी जीते, ये जाने ले हमारी…
दोस्ती
चलो थोडा दिल हल्का करें कुछ गलतियां माफ़ कर आगे बढें बरसों लग गए यहाँ तक आने में इस रिश्ते को यूं ही न ज़ाया…
Nice
Good
वाह
👏👏
bahut khoob