वर्ष कलैंडर शाल हैं बदले !

वर्ष कलैंडर शाल हैं बदले !
किंतु न अपने हाल हैं बदले !!
नये साल का शोर करो मत !
पेड़ों ने बस छाल हैं बदले !!
थोड़ा चतुर हुई क्या मछली !
मछुवारों ने जाल हैं बदले !!
वही आरती वाले कर हैं !
बस स्वागत के थाल हैं बदले !!
एक गोल के चट्टे बट्टे !
थोड़ा सा पगताल हैं बदले !!
धन धरती सामूहिक कर लो!
दद्दा देखो काल हैं बदले !!


आर्य हरीश
जिलासचिव -प्रलेस अ० न०

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